राज्य प्रवक्ता
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष रघुवीर सिंह रावत, सचिव मनोहर सिंह कन्याल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र सिंह पोखरिया की जमानत याचिका कर दी। ये तीनों अभी जेल में हैं लेकिन अभी बहुत से सवाल है जिनके जवाब उत्तराखंड के बेरोजगार युवओं के मन में गांठ की तरह बंधे हुए हैं। नकल माफिया के साथ ही उत्तराखंड में फर्जी उपाधिधारक भी बड़ी संख्या में सरकारी नौकरी पर काबिज हैं। यहां तक की फर्जी पीएचडी की डिग्री लेकर कई फर्जी प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं। सरकारी एजेंसियों की जांच का तुर्रा देखे तो आयुर्वेदिक विवि में तैनात डॉ आरके अडाना ने एक साल में दो उपाधियां प्राप्त कर ली। फर्जी तरीके से उपाधियां प्राप्त और एम की उपाधि भी फर्जी उपाधि से ही प्राप्त की। सडाना ने ऋषिकुल आयुर्वेदिक विवि हरिद्वार से आयुर्वेद में एमडी की उपाधि भी हासिल की। यानि एमडी भी फर्जी तरीके से कर दिया। मामला पकड़ में आया। जांच भी हुई लेकिन आज तक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। लोक सेवा आयोग ने नकल के जरिए इंजीनियर बने सहायक अभियंता के प्रमाण पत्रों की जांच में सामने आया कि उसने फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी पाई। उसे बर्खास्त कर दिया गया। इस तरह प्रवक्ता और एलटी में भी फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी हासिल करने के छतिसियों मामले सामने आ चुके हैं। इधर पीएचडी उपाधि धारक लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि राज्य के कई विश्वविद्यालयों में फर्जी डिग्री के आधार पर कई लोग प्रोफेसर बने हुए हैं। यही नहीं यूकेपीएससी व यूकेएसएसएससी के जरिए नौकरी पाने वाले कई अधिकारियों व कर्मचारियों के शैक्षिक प्रमाण पत्र फर्जी होने का संदेह है लेकिन देखा जा रहा