राज्य प्रवक्ता
विद्वान रावण ने दशशीश प्राप्त कर भगवान शिव से यहीं चन्द्रहास खड्ग प्राप्त किया था। रावण ने यहां घनाघोर तपस्या की लेकिन फिर भी जब शिव नें दर्शन नहीं दिए तो उन्होंने अपना सिर काट कर यज्ञ में आहूत कर दिया। नौ बार रावण ने सिर काटा। भगवान शंकर का ध्यान भंग हुआ और सीधे रावण के समक्ष उपस्थित हुए। दश शीश देने के साथ ही उन्हें चंद्रहास खड्ग प्रदान किया। चमोली जिले के नंदानगर (घाट) ब्लॉक में समुद्र तल 6500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है बैरासकुंड मंदिर। धार्मिक मान्यता के अनुसार बैरासकुंड गांव में स्थित भगवान शिव का यह मंदिर त्रेतायुग का मंदिर है। हिन्दू मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में शिव के परम भक्त रावण ने महादेव शिव की इस स्थान पर तपस्या की थी। रावण संहिता, केदार खंड और बाल्मीकि रामायण में मंदिर का उल्लेख मिलता है। बाल्मीकि रामायण में अनुसार बैराकुंड मंदिर में ही लंका के राजा रावण ने भगवान शिव को अपने 9 शीश अर्पित किये थे। वहीं केदारखंड के अनुसार महर्षि वसिष्ठ ने बैरासकुंड में भगवान शिव की तपस्या की थी। जिस पर भगवान शंकर ने उन्हें वशिष्ठेश्वर लिंग के रूप में दर्शन दिये थे। ऐसे में यहां भगवान शंकर की पूजा अर्चना वसिष्ठेश्वर शिव लिंग के नाम से की जाती है।
कैसे पहुंचे बैरासकुंड मंदिर
बैरासकुंड मंदिर जाने के लिये चमोली जिले में बदरीनाथ हाईवे के नंदप्रयाग पड़ाव से करीब 25 किमी दूरी पर है। मंदिर तक सुगमता से वाहन से पहुंचा जा सकता है। यहां जाने के लिये नंदप्रयाग-नंदानगर (घाट) सड़क के कांडई पुल नामक स्थान से सड़क जाती है। यह स्थान ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से 126 किलोमीटर और जौली ग्रांट हवाई अड्डे से 214 किमी की दूरी पर स्थित है।