
महासू को महिलाओं ने भेंट किया चांदी का छत्र
राज्य प्रवक्ता
सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जौनसार क्षेत्र देवताओं पर अकूत आस्था रखता है। यहां की संस्कृति व्यक्ति को आध्यात्म की गहराई तक लेकर जाती है। जरूरत है इन परंपराओं को समझने की और इन्हें नजदीक से समझने की। आइए आपको बताते हैं जौनसार क्षेत्र के पाइंता पर्व की। उत्पालटा व कुरोली के ग्रामीणों के बीच जमकर गागली युद्ध हुआ, इस ऐतिहासिक परम्परा को देखने के लिए दूर दराज के लोग एकत्र हुए। युद्ध के अंत में ग्रामीणों ने एक दूसरे को पाइंता पर्व की बधाई दी। देहरादून जिले के कालसी ब्लाक क्षेत्र के कुरोली व उत्पाल्टा के ग्रामीण अपने-अपने गांव के सार्वजनिक स्थल क्याणी में एकत्र हुए। ढोल नगाड़ों व रणसिंघे के साथ ही हाथ में गागली के डंठल व पत्तों को लहराते हुए नाचते गाते देवधर पहुंचे। जहां दोनों गांवों के ग्रामीणों के बीच गागली युद्ध शुरू हुआ। यह युद्ध पछतावे के लिए लड़ा जाता हैं, इसमें किसी की हार जीत नहीं होती, युद्ध समाप्ति पर दोनों गांवों के ग्रामीण एक दूसरे के गले मिलें और पर्व की बधाई दी। इसके बाद ढोल नगाड़ों की थाप पर सामूहिक रूप से नृत्य का में मर्द और औरते ंएक साथ नृत्य करते हैं। पाइंता पर्व उत्पाल्टा कनबुआ, नराया, मलेथा आदि गांवों में मनाया जाता है। 24 अक्टूबर मंगवार के दिन यह पर्व मनाया गया।
कुंए में गिर गई रानी, मुन्नी पर लगा आरोप
ग्रामीणों के अनुसार पुराने समय में जौनसार के दो परिवारों पतांण, बैणाण में जन्मी रानी और मुन्नी दो कन्याएं थी। एक दिन दोनों उत्पाल्टा गांव के पास क्याणी नामक स्थान पर कुएं के पास बैठी थी, रानी अचानक कुएं में गिर गई और आरोप मुन्नी पर लगा। उसे गांव वालों ने प्रताड़ित किया। मुन्नी ने अपनी सच्चाई गांव के सामने रखी, लेकिन गांव वालों ने उसकी एक ना सुनी और उसको दोषी करार दिया। न्याय नहीं मिलने पर अंत में उसी कुएं में मुन्नी ने भी कूद कर प्राण त्याग दिए, कहा जाता है इस घटना का श्राप आज भी उत्पाल्टा और कुरोली गांव के बैणाण पंताण परिवार पर है। इसी श्राप से मुक्त होने के लिये जौनसार के इन गांवों में प्रत्येक वर्ष गागली युद्ध होता है। ग्रामीणों का कहना है की यह युद्ध तब तक समाप्त नहीं होगा, जब तक पंताण और बैणाण परिवार में एक साथ दो कन्याएं जन्म नहीं लेगी और जिस भी दिन ऐसा होगा उसी क्षण से जौनसार के ये दोनों गांव श्राप मुक्त हो जाएंगे।
महासू को चांदी का छत्र किया भेंट
जौनसार बावर क्षेत्र के सिद्धपीठ महासू देवता मंदिर थैना में खत पंजगाव के ग्राम कोप्टी की महिलाओं ने महासू मंदिर में चांदी का छत्र भेंट किया। इस मौके पर क्षेत्र की विवाहिताओं ने मंदिर को सजाने-संवारने के लिए 51 हजार का चैक भेंट किया और महासू देवता के दर्शन किए। चांदी के छत्र को लेकर कोप्टी गांव की 50 महिलाएं व अन्य ग्रामीण महासू महाराज मंदिर थैना पहुंचे। पुजारी कृपाराम भट्ट ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर छत्र का मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश कराया।