राज्य प्रवक्ता
राज्य आपदा प्राधिकरण के सचिव रणजीत सिन्हा ने कहा था कि हम चौबीस घंटे में श्रमिकों को सुरंग से बाहर निकाल लेंगे। जल निगम के अधिकारी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी, अब भला जो विभाग एक सीवर लाइन ठीक से नहीं बिछा पाता है और जिसकी लापरवाही से रुद्रप्रयाग के सीवर टैंक के चारों तरफ करंट फैलने से लोगों की मौत हो गई हो वह विभाग सुरंग में पाइप डालेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरी शिद्दत से राहत कार्यों को लेकर गंभीरता दिखाई लेकिन क्या करें एसी के अफसर कहां धूल-मिट्टी फांक पाएंगे। मेहनत कस और अपने फंसे होते तो तब पीड़ा होती। श्रमिकों की पीड़ा उत्तराखंड का आम व्यक्ति तो महसूस कर सकता है लेकिन अफसर को इसका एहसास नहीं होता, वे तो इसमें भी अवसर ही तलाशेंगे। फिलवक्त दिल्ली सरकार ने हर संभव मदद का भरोसा मुख्यमंत्री को दिया था और दिल्ली की मोदी सरकार ने हवाई जहाज से टनों वजनी उपकरण भेजकर अपनी गंभीरता भी साबित कर दी है। मुख्यमंत्री लगातार इसका फीड बैक दिल्ली को दे रहे हैं और ये बड़ी बात है कि धामी चिंतित हैं। मशीनें फीट की जा रही है और अब जल्द ही फिर से सुरंग में फंसे मलबे को हटाने की कार्य में तेजी आएगी।
सुरंग के बाहर मजदूरों में गुस्सा
साथी सुरंग के भीतर कैद है और रविवार से बंद उन साथियों के लिए चिंतित बाहर खड़े मजदूरों के सब्र का बांध टूटना नजर आ रहा है। उनका तो ये तक कहना है कि हमें मौका दो हम हटा देंगे मलबा। उन्होंने सर्च एंड रेस्क्यू के तमाम कार्यों पर सवाल भी खड़े किए हैं।