राज्य प्रवक्ता
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित केंद्र सरकार महत्वाकांक्षी ऑल वेदर रोड की सुरंग में फंसे सभी श्रमिक अपने घर पहुंच गए हैं, उनके जानके बाद यहां काम बंद है और पूरे क्षेत्र में जहां 12 नवंबर से पहले चहल-पहल और मशीनों की घर्घराहट रहती थी वह अब सुनसान है। इस खामोशी के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग खंड रेस्क्यू ऑपरेशन में हुए खर्च का ब्यौरा तैयार कर रही है, कुछ खर्चों का ब्यौरा कंपनी को पहले भेजा जा चुका और शेष खर्चों का ब्यौरा तैयार किया जा रहा है। बहरहाल कंपनी को सभी खर्चों का ब्यौरा जल्द भेजा जाएगा। अभी ये तो जानकारी नहीं मिल पाई कि कुल कितना खर्चा हुआ है लेकिन बताया जा रहा है कि कंपनी के खर्चों का विवरण देख कंपनी के माथे से पसीन टपकता नजर आ रहा है और अब जुगत लगाई जा रही है कि किसी तरह से खर्चों का सरकार के साथ एडजेस्टमेंट किया जाए। फिलवक्त अब कंपनी पैसा देती है या नहीं इस पर नजर रहेगी।
ईपीसी मोड व शर्तों का होगा परीक्षण
एनएचआइडीसीएल ने नवयुग कंपनी को इंजीनियरिंग प्रक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) मोड में दिया है। इस की लागत 853.79 करोड़ रुपये के इस काम को पूरा करने की अंतिम तिथि 8 जुलाई 2022 को थी, जिसे आगे के लिए बढ़ाया गया था यानी फरवरी 2024 तक 4.5 किमी लंबाई है। अनुबंध के शर्तों के अनुसार निर्माण कंपनी को डिजाइन से लेकर सभी कार्य स्वयं करने होते हैं और तमाम कार्यों में किसी भी तरह की खामी के लिए निर्माण कंपनी सीधे तौर पर जिम्मेदार है।
सिलक्यारा में अधिकांश कमजोर भाग : कर्नल पाटिल
एनएचआइडीसीएल के परियोजना प्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि सिलक्यारा सुरंग की साइट में चट्टानों की क्षमता कमजोर है। इसे वीक जोन यानी कमजोर भाग भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि सुरंग में सिलक्यारा की तरफ मुहाने से 80 से 260 मीटर तक का भाग वीक जोन है। इसकी जानकारी पहले से थी। इसी को देखते हुए वीक जोन की री-प्रोफाइलिंग (सुरंग के कमजोर भाग के उपचार की पद्वति) की जा रही थी। 80 से 120 मीटर तक के भाग पर री-प्रोफाइलिंग कर भी ली गई थी, जबकि इससे आगे के भाग पर यह कार्य चल रहा था, तभी हादसा हो गया। एन एचडीसीएल के अनुसार अब सुरंग में नया निर्माण तभी शुरू किया जाएगा, जब सुरक्षा के सभी बिंदुओं का समाधान कर लिया जाएगा। सुरंग के सर्वेक्षण के लिए गठित की जा रही तकनीकी समिति में सभी तरह के विशेषज्ञ शामिल किए जाएंगे।