राज्य प्रवक्ता
मोहन सिंह रावत ‘गांववासी’ पिछले वर्ष से अस्वस्थ थे और दून स्थित कैलाश अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। जनसंघ से भाजपा तक जन्म के गवाह और सदैव समाज सेवा और हिमालय की चिंताओं को लेकर गांववासी लगातार अध्ययन करते रहे और उत्तराखंड का कोई ऐसा दर्रा और पथ नहीं है जिसकी जानकारी गांववासी को न रही हो। पांडित्य ऐसा कि कई विद्वान पंडित भी उन्हें अपनी जन्म कुंडली में ग्रहों की दशा और दिशा की जानकारी ले जाते थे। गांववासी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राजनीति के कीर्ति स्तंभ रहे। सजन्नता ऐसे की मंत्री होने के बाद भी पहला व्यक्ति था जो रोडवेज की बस से यात्रा करता हुआ नजर आता था। उत्तराखंड के पहले विधानसभा चुनाव 2002 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था। विधानसभा का चुनाव लड़ने से इंकार करने के बाद गांववासी एक तरह से सक्रिय राजनीति से विदा हो गए और फिर भाजपा और आरएसएस के विभिन्न प्रकल्पों के लिए कार्य करने लगे। इस दौरान उन्होंने सुदूर आदिवासी क्षेत्रों के उत्थान के लिए भी कार्य किया। गांववासी जी से कई बार मैने व्यक्ति मुलाकात में यह भी कहा कि आप अपनी यात्राओं का संकलन किताबों में क्यों नहीं करते हैं, उनका हर बार जवाब होता कि जरूर करूंगा, समय तो मिले। अक्सर कठैत जी के साथ मेरा उनके पौड़ी स्थित क्यूंकालेश्वर आश्रम में जाना होता था और मृद व्यवहार के साथ वे ज्ञान की चर्चा किया करते थे। उनका निधन उत्तराखंड के लिए अपूर्णीय क्षति है, जो कभी पूरी नहीं हो सकती।