राज्य प्रवक्ता
भिलंगना विकासखंड के अंतर्गत हिंदाव पट्टी क्षेत्र की प्रसिद्ध ‘जगदी की जात’ (वार्षिक डोली यात्रा) श्रद्धा और उल्लास के साथ आयोजित की गई। दो दिवसीय इस जात्रा के दौरान देवी की डोली के दर्शनों और इस मौके पर आयोजित मेले में विभिन्न स्थानों से हजारों की संख्या में लोग उमड़े। टिहरी जिले के दूरस्थ क्षेत्र हिंदाव में दिसम्बर माह के आखिरी सप्ताह में स्थानीय लोक देवी ‘जगदी’ (ज्वालपा) की वार्षिक जात्रा आयोजित की जाती है, जो इस पूरे क्षेत्र में ‘जगदी की जात’ के नाम से प्रसिद्ध है। दो दिवसीय इस जात के पहले दिन अंथवाल गांव स्थित देवी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के बाद देव डोली ने गांव में घर-घर जाकर दर्शन और आशीर्वाद दिया। ढोल-दमौं की गूंज के बीच देवी की डोली देर शाम गांव से प्रस्थान कर करीब 10 किमी दूर शिला सौड़ नामक स्थान पर पहुंची। यह दूरी डोली के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पैदल ही चढ़ाई पार कर तय की। देर रात्रि यात्रा शिला सौड़ स्थित जगदी मंदिर पहुंची, जहां देवी की डोली को दर्शन-पूजन के लिए रखा गया। कड़ाके की ठंड के बीच श्रद्धालुओं और आसपास के ग्रामीणों ने हवन-पूजन व रात्रि जागरण किया। साथ ही ढोल-दमौं की थाप पर पूरी रात मंडाण लगा।
सुबह से ही देवी के दर्शनों के लिए यहां टिहरी जिले की हिंदाव, ग्यारहगांव, नैलचामी व भिलंग पट्टी के साथ ही पड़ोसी रूद्रप्रयाग जिले की लस्या और बांगर पट्टी के भी हजारों स्त्री, पुरूष व बच्चे जुटे। इसके अलावा देश के विभिन्न क्षेत्रों से भी स्थानीय मूल के लोगों ने जात में हिस्सा लिया। एक दिन पूर्व अंथवाल गांव में लगा मेला जगदी की जात के दूसरे व अंतिम दिन शिला सौड़ में लगा। बिजनौर, सहारनपुर व मुजफ्फरनगर समेत विभिन्न स्थानों से आए व्यापारियों ने मेले में तरह-तरह के स्टॉल लगाए, जहां महिलाओं और बच्चों ने जमकर खरीददारी की। अपराह्न देवी की पूजा-अर्चना और मंडाण के बाद डोली ने शिला सौड़ से वापस अंथवाल गांव स्थित मंदिर के लिए प्रस्थान किया। इस मौके पर देवी के मुख्य पुजारी यशोदानंद थपलियाल, जात्रा आयोजक नौजुला जगदंबा समिति के अध्यक्ष केदार सिंह मालदिया, सचिव वीरेंद्र रावत, प्रबंधक शूरवीर रावत, कोषाध्यक्ष कुंवर सिंह कुंवर, सदस्य सत्यनारायण लेखवार, जयकृष्ण अंथवाल आदि मौजूद रहे।