राज्य प्रवक्ता
कभी राजशाही के ठाठ-बाट की गवाह रहे टिहरी के मतदाताओं ने अधिकतर निर्दलीय या बागी उम्मीदवारों का साथ दिया। 1950 में बनी टिहरी नगर पालिका में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के पुराने समीकरण देखें तो भाजपा और कांग्रेस ने एक चुनाव जीता जबकि भाजपा उप चुनाव के रास्ते नगर पालिका के सिंहासन तक पहुंची थी। इस बार सामान्य सीट पर कुल 7 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा-कांग्रेस के अलावा निर्दलीय मोहन सिंह रावत, उमेश चरण गुसाईं, भाजपा के बागी अनुसूया नौटियाल और कांग्रेस के बागी गंगा भगत नेगी शामिल हैं।
अब बात करते हैं टिहरी पालिका के इतिहास की। 1950 में टिहरी नगर पालिका के पहले मनोनीत अध्यक्ष विद्यादत्त पैन्यूली रहे। इसके बाद 1953 से लेकर 1975 तक महावीर प्रसाद गैरोला, वीरेंद्र दत्त सकलानी और मालचंद रमोला गैर कांग्रेसी अध्यक्ष अध्यक्ष बने। 1975 में कांग्रेस के दयाल सिंह रावत पहली बार अध्यक्ष पद पर काबिज हुए। इसके बाद कभी भी कांग्रेस को इस सीट पर जीत नहीं पाई। 1988 में कद्दावर नेता भागवत सिंह बिष्ट की बजाए कांग्रेस ने सिटिंग अध्यक्ष रावत पर भरोसा दिखाया, लेकिन भागवत बिष्ट बागी चुनाव लड़कर जीत गए। 1997 में फिर कांग्रेस ने दिग्गज विजय सिंह पंवार उर्फ गुड्डू भाई को टिकट काट लेकिन उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीतकर परचम लहराया। 2003 कांग्रेस ने मजबूत प्रत्याशी दिनेश धनाई को टिकट काटा, नतीजा धनाई निर्दलीय विजयी रहे। 2008 में टिहरी से पूर्व छात्रसंघ महासचिव राकेश सेमवाल ने जीत हासिल कर भाजपा और कांग्रेस को जमीन दिखा दी। लेकिन 2011 में उनका असमय निधन हो गया। जिसमे बाद भाजपा ने राज्यांदोलनकारी उमेश चरण गुसाईं को टिकट दिया, पहली बार इस सीट पर कमल खिला। 2013 में यहां भाजपा के बागी उमेश चरण गुसाईं ने जीत हासिल की। 2018 में पहली बार महिला ओबीसी हुई सीट पर कांग्रेस की बागी सीमा कृषाली बाजी मारी। अब 2024 में भाजपा ने मस्ता सिंह नेगी और कांग्रेस ने कुलदीप पंवार को टिकट दिया।