
मुबंई में आयोजित समारोह में पुरस्कार लेते डॉ मायाराम।
समन्वययक डॉ जर्नादन नौटियाल, डॉ अनिल थपलियाल, डॉ सनंदन व डॉ श्रीवास्तव भी हुए सम्मानित
राज्य प्रवक्ता
उत्तराखंड आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में निरंतर बुलंदियों की ओर अग्रसर है। हिमालय के तलहटी में बसे उत्तराखंड में आयुर्वेद के क्षेत्र की असीमित संभावनाओं का ही परिणाम है कि उत्तराखंड के डॉ मायाराम उनियाल को आयुर्वेद, जड़ी-बूटी विशेषज्ञता के क्षेत्र में धनवंतरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार आयुर्वेद के क्षेत्र का सबसे बड़ा पुरस्कार हैं। पुरस्कार देशभर में मात्र तीन विशषज्ञों को दिया गया।
डॉ मायाराम उनियाल के साथ ही भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” प्रथम चरण के संचालन के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड को नोडल एजेंसी बनाया था। नोडल एजेंसी में डॉ० जर्नादन नौटियाल, डॉ अनिल थपलियाल, डॉ सनंदन थपलियाल व डॉ डीके श्रीवास्तव को समन्वयक की जिम्मेदारी सौंपी गई । इसके अलावा प्रत्येक जिले में जिला समन्वयकों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अभियान में आयुर्वेद के चिकित्साधिकारियों, शिक्षकों, निजी चिकित्सकों तथा छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। राज्य में अभियान सफल रहा और कुल 1 लाख 57 हजार नागरिकों का प्राकृतिक परीक्षण किया।
आयुष मंत्रालय ने 20 फरवरी को मुंबई में समारोह आयोजित किया। समारोह में डॉ० जर्नादन नौटियाल, डॉ अनिल थपलियाल, डॉ सनंदन थपलियाल व डॉ डीके श्रीवास्तव को भी सम्मानित किया गया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस व केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव ने सम्मान देते हुए प्रसन्नता व्यक्त की। उन्हें प्रशस्ति-पत्र व प्रतीक चिन्ह भेंट किए।
सम्मान समारोह के अनुभव साझा करने के साथ ही डॉ अनिल थपलियाल ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में उत्तराखंड राज्य में अकूत संभावनाएं हैं। हिमालय की तलहटी में व ऊंचाई वाले इलाकों में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियां जीवन दायिनी औषधियां हैं। आयुर्वेद की संभावनाएं लगातार बढ़ रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में आने वाले सालों में उत्तराखंड आयुर्वेद का सिरमौर होगा। राज्य के प्रत्येक जिले में आयुष चिकित्सा केंद्रों का तेजी से विकास होने वाला है और इस ओर विदेशों से भी लोग भारत आने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वे स्वयं श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के श्री महंत देवेंद्र दास जी के सानिध्य में योग के साथ छात्रों को आयुर्वेद की भी शिक्षा दे रहे हैं। महंत देवेंद्र दास का आयुर्वेद पर विशेष फोकस है।